एक कुँवारी दुल्हन की पहली सुहागरात( Suhagraat ki kahani : First Night Sex Story true story in hindi)

एक कुँवारी दुल्हन की पहली सुहागरात

हाय फ्रेंड्स, मेरा नाम रोनित है Antarvasna और मैं मुंबई का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 27 साल की है और मेरी लम्बाई 5.7 फुट की है, और मैं दिखने में भी ठीक-ठाक हूँ, और मैं स्मार्ट भी हूँ, और ऐसा मेरे सभी दोस्त कहते है. मेरे लंड का साइज़ 6.5” लम्बा और 3” मोटा है. दोस्तों अब आप लोगों का ज़्यादा समय ना लेते हुए मैं सीधा मेरी आज की कहानी पर आता हूँ. आप यह कहानी कामलीला डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।

दोस्तों मेरी यह चुदाई की कहानी मेरे और मेरी गर्लफ्रेंड रिंकी के बारे में है, रिंकी की उम्र 24 साल की है, और वह मेरे घर के बगल वाले घर में ही रहती थी. रिंकी के घर में उसकी मम्मी और उसके अलावा और कोई भी नहीं था, उसके पापा की तो रिंकी के बचपन में ही मौत हो चुकी थी. और तब से ही वह दोनों ही अकेले ही रहते है।

रिंकी दिखने में बहुत सी सेक्सी और हॉट थी. और उसका फिगर तो बहुत ही कमाल का था, उसके फिगर का साइज़ लगभग 32-28-34 का है. दोस्तों मैं तो उसकी उभरी हुई गांड का दीवाना था. मैं क्या हमारा पूरा मोहल्ला ही उसकी गांड का दीवाना था. दोस्तों मैं उसको मन ही मन चाहने लगा था और मैंने सोच लिया था कि इसे तो पटाकर ही दम लूँगा. और फिर मैं उससे हमेशा ही बात करने का बहाना तलाश करता रहता था, और बस इंतज़ार करता रहता था की कब इससे बात करूँगा. और फिर मैंने अपने एक दोस्त से मदद माँगी जो सयोंग से रिंकी का भी दोस्त था. तो फिर मेरे उस दोस्त ने हमारी दोस्ती की खातिर उससे बात की लेकिन रिंकी ने पहली बार तो उसको मना कर दिया. लेकिन मैंने फिर भी हार नहीं मानी थी. और फिर काफ़ी मेहनत के बाद वह मुझसे मिलने के लिए राज़ी हो गई थी, और फिर एक शाम को मेरी उससे मुलाकात हुई. और फिर धीरे-धीरे हमारी बातें बढ़ती गई, और बातों-बातों में मैं कई बार उसके साथ काफ़ी मजाक भी किया करता था और वह भी बदले में मेरे साथ खुलकर हँसी मजाक करती थी. और फिर इसी बीच मैंने एक दिन उसको दोबारा से प्रपोज़ कर दिया था, तो उसने भी उसी समय हाँ बोल दी थी, और फिर हमारी बातें मुलाक़ातों में बदल गई थी. और हमारे फ़ोन नम्बर भी आपस में बदल गए थे. और फिर हम रोज़ ही फोन पर बात किया करते थे, शुरू में तो इधर-उधर की ही बातें होती थी. और फिर धीरे-धीरे हमारी बातें थोड़ी शरारती सी होने लगी थी. पहले तो वह भी ऐसी बातों के लिए तैयार नहीं थी. लेकिन फिर मेरे काफ़ी कहने पर वह मान गई थी।

और फिर इस तरह से हमारे बीच सेक्स की बातें भी होने लगी थी. शुरू में तो कभी-कभी ही और उसके बाद तो रोज़ ही सेक्स की बातें करते-करते हम दोनों एक दूसरे का पानी निकाला करते थे. और फिर कुछ समय के बाद हम दोनों ही साथ में घूमने भी जाने लगे थे, हम दोनों ज्यादातर फिल्म देखने ही जाते थे। एक दो बार तो सिनेमा हॉल में हम दोनों ने एक-दूसरे को चूमा और महसूस भी किया था. दोस्तों वह बहुत ही मस्त सा अहसास था. उसके बड़े-बड़े बब्स को दबाना और उसकी नाभि पर चूंटी लेना, कसम से क्या गजब का अहसास था. लेकिन सिनेमा हॉल में इससे ज़्यादा कुछ भी नहीं होने वाला था. लेकिन आग तो दोनों ही तरफ बराबर लगी हुई थी. और फिर आख़िर हम भी कब तक फोन सेक्स करके ही काम चलाते, क्योंकि अब हम दोनों को सच्चे वाले सेक्स की ज़रूरत थी. और फिर मैंने सोचा भी नहीं था कि हम दोनों को वह मौका ऐसे ही आसानी से मिल जाएगा।


दोस्तों यह घटना जब मेरे साथ हुई थी तब मैं अपनी 12 वीं के आखरी महीने में था, और हमारे स्कूल ने बोर्ड की परीक्षा की वजह से रात में क्लास लगाने को कहा था, जिसका मतलब कि लगभग 2 महीनें तक मुझको रिंकी से दूर रहना पड़ेगा, और यह बात सोचकर मैं बहुत परेशान हो गया था. और फिर जब मैंने यह बात रिंकी को बताई, तो वह भी परेशान हो गई थी. और यह 2 महीनें तक हम दोनों कैसे एक-दूसरे से दूर रह सकते थे. और हमको तो बस एक मौका चाहिए था एक-दूसरे से मिलने का, और मिलकर कुछ करने का, और वह मौका भी हमको जल्दी ही चाहिए था क्योंकि 15 दिन के बाद तो मुझको रात की क्लास के लिए जाना था. और फिर जल्दी ही हम दोनों को वह मौका मिल भी गया था. और यह सब हुआ ऐसे कि रिंकी की मम्मी को 1 हफ्ते के लिए उनके गाँव जाना था किसी जरूरी काम के लिए और मुझको यह मौका एकदम सही भी लगा, और मैंने रिंकी को भी समझा दिया था कि कुछ भी बहाना करके तुम घर पर ही रुक जाओ. और फिर हुआ भी यही, और फिर 2 दिन बाद रिंकी की मम्मी उनके गाँव चली गई थी, और रिंकी ट्यूशन का बहाना करके घर पर ही रुक गई थी. और फिर जैसे ही उसकी मम्मी उनके घर से निकली तो, उतने में ही रिंकी का मेरे पास फोन आया, और वह बहुत खुश लग रही थी, क्योंकि उसको पता था की यह पूरा हफ़्ता हमारे लिए किसी हनीमून से कम नहीं होगा. और इधर मैं भी पागल हुआ जा रहा था उसको चोदने के लिए. अब तो मैं बस रात होने का इंतज़ार करने लगा था. सच बताऊँ दोस्तों उस समय तो एक-एक मिनट भी मुझको 1-1 साल के बराबर लग रहा था, और मैं तब तक जाकर मेडिकल स्टोर से 2 कंडोम के पैकेट और वियाग्रा की गोलियाँ, और कुछ चोकलेट ले आया था. क्योंकि मैं चाहता था कि यह पूरा हफ्ता हमारे लिए यादगार बन जाए।

और फिर रात हुई और फिर तो मैं बस रिंकी के फोन का इंतज़ार करने लगा, और फिर करीब रात के 11 बजे के आस-पास उसका फोन आया, और मैं अपने घर से यह बोलकर निकला कि मैं अपने दोस्त के घर जा रहा हूँ पढ़ने के लिए, और मुझको देर भी हो सकती है, या फिर शायद ना भी आऊँ. और फिर घर वालों को भी शक नहीं हुआ था, क्योंकि मैं पहले भी रात को पढ़ने के लिए अपने दोस्त के घर जाया करता था. और फिर मैं घर से निकला और फिर थोड़ा इधर-उधर देखकर सीधा ही रिंकी के घर पर चला गया. उसके घर का दरवाज़ा तो पहले से ही खुला हुआ था, और उसके कमरे में से एक भीनी सी खुश्बू आ रही थी. जैसे कि मानो किसी ने घर में गुलाब के फूलों की बारिश कर दी हो. खैर फिर मैं रिंकी के कमरे की तरफ बढ़ा, और फिर मैंने देखा कि वह पूरा कमरा ही सज़ा हुआ था, जैसे कि मानो सच में ही आज हमारी सुहागरात हो. पूरे बेड पर ही गुलाब बिखरे हुए थे, और पूरे कमरे में ही बहुत ही अच्छी सी खुश्बू आ रही थी. लेकिन मुझको वहाँ पर रिंकी कहीं भी दिखाई नहीं दे रही थी. और फिर मैं भी हैरान हुआ और सोचने लगा कि आखिर रिंकी कहा गई? और फिर मैं उसको ढूँढने के लिए थोडा और अन्दर गया तो, फिर अचानक से किसी ने पीछे से मेरी आँखो को अपने प्यारे से हाथों से बन्द किया तो, मैं समझ गया था कि, यह तो मेरी जान ही हो सकती है।

और फिर मैंने उसके हाथों पर किस किया, तो वह शरमा गई थी. और फिर उसने अपना हाथ हटा लिया था. और फिर मैंने उसको घुमाकर अपनी बाहों में खींचा, और फिर उसको देखते ही मैं तो पागल सा हो गया था, क्योंकि उसने उस समय एक गुलाबी रंग की गहरे गले की एक शॉर्ट नाइटी पहन रखी थी, और उसमें वह किसी परी से कम नहीं लग रही थी. और उसको देखकर मेरा मुहँ तो खुला का खुला ही रह गया था. और फिर मैंने उसको अपनी बाहों में लिया और फिर उसको वहीँ खड़े-खड़े पागलों की तरह किस करने लगा, लेकिन रिंकी ने मुझको यह कहते हुए रोक दिया था कि, “जनाब जरा सब्र तो कीजिए, अभी तो पूरी रात बाकी है आपके लिए”. और फिर उसने मुझको बेड पर बैठा दिया और फिर उसने खुद ही जाकर होम-थियेटर पर एक धीमी सी आवाज़ में एक रोमाटिक गाना बजाया, और फिर मैं यह सब देखकर समझ गया था कि आज की रात बहुत ही हसीन होने वाली है. और फिर रिंकी मेरे पास आई और मेरी गोद में बैठ गई थी. और फिर उसने मेरे गालों पर एक प्यारा सा किस दिया. और फिर मुझको अचानक से मेरी जेब में रखी चोकलेट का ध्यान आया।

तो फिर मैंने अपनी जेब से वह चोकलेट निकाली, और फिर मैंने चोकलेट में से एक टुकड़ा अपने मुहँ में लिया, और फिर मैं रिंकी को किस करने लग गया था. दोस्तों मुझे तो उस समय कसम से बहुत मज़ा आ गया था. इतना जबरदस्त किस मैंने आज तक नहीं किया था. और फिर हम करीब 10-15 मिनट तक वैसे ही किस करते रहे. और फिर किस करते-करते कब हमने एक-दूसरे के कपड़े उतार दिए थे, हम दोनों को पता ही नहीं चला था. और फिर मैं रिंकी पर टूट पड़ा था, और फिर मैं उसके बब्स को किस करने लगा था, और फिर साथ-साथ ही उसकी कमर पर भी किस करने लगा था. रिंकी भी अब पूरी तरह से गरम हो गई थी. और फिर जैसे ही मैंने उसकी चूत को छुआ तो, मुझको ऐसा लगा कि, जैसे मैंने किसी गरम भट्टी में अपना हाथ डाल दिया हो. और फिर मेरे छूने से वह थोड़ा सिसकी और बोली कि थोड़ा आराम से करो, मैं अभी तक कुँवारी ही हूँ, और फिर तो मैं उसके मुहँ से यह बात सुनकर तो पागल ही हो गया था कि आज तो कुँवारा माल चोदने का मौका मिल रहा है. और फिर मेरे मन में तो जैसे लड्डू से फूटने लगे थे. और मैं भी हद से ज़्यादा गरम हो चुका था, और फिर उसकी गुलाबी चूत मेरे सामने थी, और मेरा लंड भी पूरी तरह से अपने जोश में आ गया था. आप यह कहानी कामलीला डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।

हमारा जिस्म एकदूसरे से एकदम चिपका हुआ था, और ऊपर से नीचे तक हम दोनों ही बहुत ही गरम हो चुके थे. और फिर किस करते-करते ही मैंने रिंकी के बब्स इतने मसल दिए थे कि वह भी अब आहहह… इस्स्स्स…. करने लगी थी. और मेरे मसलने से उसके बब्स के निप्पल भी एकदम लाल हो चुके थे. उसके बाद मेरा ध्यान उसकी चूत पर गया, और फिर उसकी चूत को किस करते हुए मैंने उसकी चूत में अपनी एक ऊँगली डाल दी थी, मेरे ऊँगली डालते ही वह एकदम से सहम गई थी, और उसका मुहँ खुला का खुला ही रह गया था. और फिर मैंने धीरे-धीरे अपनी ऊँगली को उसकी चूत में अन्दर-बाहर करनी शुरू करी तो, शुरुआत में तो उसको बहुत दर्द हुआ. और वह “आहहह… उफ्फ्फ्फ़… थोड़ा आराम से करो” कहने लगी थी, लेकिन फिर मैं कहाँ रुकने वाला था. और फिर मैंने अपनी स्पीड को और बढ़ा दिया था. और फिर तो अब उसको भी मज़ा आने लग गया था. और अब तो वह भी मज़े से आह्ह्ह… इस्स्स्स…. करने लग गई थी, और मेरे लंड को पकड़कर हिलाने लग गई थी।

और फिर तो हम दोनों ही 69 की पोजीशन में आ गए थे, और मैं उसकी चूत को चाटने लग गया था, और वह भी मेरे लंड को चूसने लग गई थी. और फिर हम दोनों को ही बहुत मज़ा आ रहा था. और फिर थोड़ी देर के बाद उसने मुझसे कहा कि, “अब तो बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है, नीचे कुछ करो ना”. और फिर मैं उसका इशारा समझ गया था. और फिर मैं अपना 6.5” का लंड और उसकी चूत पर रगड़ने लग गया था. और फिर तो वह और भी तड़पने लग गई थी, और मुझसे बोलने लग गई थी कि, “प्लीईईईईज जल्दी डालो नहीं तो मैं मरी जा रही हूँ”. और फिर मैंने उसकी चूत में एक झटका मारा जिससे मेरा थोड़ा सा लंड उसकी चूत के अन्दर घुस गया था, और वह एकदम से चीख पड़ी थी “आहहह… धीरेरेरे… से, इसको बाहर निकाल लो बहुत दर्द हो रहा है”.


और फिर मैंने उससे कहा कि, जितना दर्द होना होगा अभी हो जाएगा, उसके बाद तो सिर्फ़ मज़ा ही मजा आएगा. और फिर कुछ देर तक इन्तजार करने के बाद जब मुझे लगा कि अब सही समय है, तो मैंने फिर से एक और झटका मारा, और इसबार तो मेरा लंड रिंकी की चूत को चीरता हुआ उसके अन्दर घुस गया था. और रिंकी भी फिर से एकदम से चीख पड़ी थी, “आहहह… निकाआल्लो इसको प्लीज़्ज़्ज़्ज़ बहुत दर्द हो रहा है”. मैं तो जैसे किसी जन्नत में पहुँच गया था, आस-पास के घरों में आवाज़ ना सुनाई ना दे, इसलिए मैंने रिंकी का मुहँ झट से अपने हाथों से बन्द कर दिया था।

और फिर जब वह थोड़ी चुप हुई, तो मैंने अपना हाथ उसके मुहँ पर से हटाया, तो वह हाँफने लगी थी. और उसकी आँखों में से आते हुए आँसू रुकने का नाम ही नही ले रहे थे. तो फिर मैंने जैसे-तैसे उसको चुप करवाया, लेकिन अपना लंड उसकी चूत में से बाहर निकालने नहीं दिया. और फिर थोड़ी देर के बाद वह सामान्य हुई, और नीचे से अपनी गांड को हिलाने लगी तो, मैं उसका यह इशारा समझ गया था, और फिर मैं भी उसकी चूत में झटके लगाने लगा था, पहले तो मैंने धीरे-धीरे झटके लगाने शुरू किए, और फिर जब रिंकी को भी मज़ा आने लगा. तो वह भी मज़े में “आहहह… ईसस्स्स्स्सस्स…. चोदो और तेज़्ज़्ज़्ज़ चोदो” करने लगी थी।


और अब तो रिंकी भी मेरा पूरा साथ देने लगी थी. और फिर कुछ देर तक उसी पोजीशन में उसकी चुदाई करने के बाद मैंने उसको घोड़ी बनाया और फिर से अपना 6.5” का लंड पीछे से उसकी चूत में डाल दिया. और अब तो उसकी बड़ी उभरी हुई गांड मेरे सामने थी तो, फिर मैंने उसकी गांड को अपने हाथों से थाम लिया. कसम से दोस्तों उस समय तो मुझको ऐसा लग रहा था कि, उसकी गांड जैसे मानो कोई मखमल का गद्दा हो. रिंकी भी उस चुदाई का पूरा मज़े ले रही थी. और फिर करीब 15-20 मिनट तक उसको अच्छी तरह से चोदने के बाद, मैं उसकी चूत के अन्दर ही झड़ गया था, और फिर वह भी मदहोश होकर बेड पर लेट गई थी. और फिर मैं भी पसीने से लथपथ होकर उसी के ऊपर गिर पड़ा था।

और फिर थोड़ी देर बाद जब वह उठी और बाथरूम में जाने लगी तो उसको तब पता चला कि उसके पैरों में भी बहुत दर्द है, और वह ठीक ढंग से चल भी नहीं पा रही थी. तो फिर मैंने उसको अपनी गोद में उठाया, और उसको बाथरूम में ले गया. और फिर वहाँ पर हमने एक-दूसरे को साफ़ किया था. और फिर हमने थोड़ा आराम किया।


और फिर करीब 1 घन्टे के बाद मैं फिर से उठा, और तब तक मेरा लंड भी फिर से खड़ा हो चुका था, तो फिर मैंने रिंकी की फिर से जमकर चुदाई करी थी. और उस पूरी रात में मैंने रिंकी की लगभग 3-4 बार चूत मारी. और फिर उसके बाद हम दोनों ही पूरी तरह से थक गये थे. और फिर सुबह भी होने वाली थी, तो मैंने रिंकी को एक आखरी किस किया, और फिर चुपचाप से उसके घर से निकलकर अपने घर पर आ गया था. और किसी को भी कोई शक नहीं हुआ था. और मेरे आने से पहले रिंकी ने मुझसे कहा कि मैंने तन मन से तुमको अपना पति मान लिया है, और तुम मुझको कभी धोखा मत देना. और फिर मैंने भी रिंकी को कभी ना छोड़ने का वादा किया। और फिर उसके बाद तो पूरे हफ्ते ही हमने अपना हनीमून बहुत अच्छी तरह से मनाया था।


और एकबार तो मैंने उसकी गांड भी मारी थी, सच में दोस्तों उस समय कसम से बहुत मज़ा आया था मुझको तो, और एक बात तो मैं आप सभी को बताना तो भूल ही गया कि यह कहानी लिखते समय पर भी मेरा लंड अभी भी खड़ा है।
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